17 फरवरी 2025, संबलपुर, ओडिशा –
सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा, जिन्हें Sam Pitroda के नाम से जाना जाता है, भारत की दूरसंचार क्रांति के प्रमुख वास्तुकार माने जाते हैं।
16 नवंबर 1942 को ओडिशा के टिटलागढ़ में जन्मे पित्रोदा ने एक छोटे से कस्बे से निकलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने भारत के डिजिटल और दूरसंचार क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
पित्रोदा का पालन-पोषण ओडिशा के एक गुजराती परिवार में हुआ, जहाँ गांधीवादी मूल्यों का गहरा प्रभाव था।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा गुजरात में पूरी की और उसके बाद वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
1964 में, वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और शिकागो स्थित इलिनॉय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। यही से उनके दूरसंचार क्षेत्र के सुनहरे सफर की शुरुआत हुई।
दूरसंचार क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान
1966 में, पित्रोदा ने शिकागो में GTE कंपनी में काम करना शुरू किया, जहाँ उन्होंने डिजिटल संचार तकनीक पर काम किया।
1974 में, उन्होंने वेसकॉम स्विचिंग (Wescom Switching) नामक कंपनी की स्थापना की, जिसने डिजिटल स्विचिंग तकनीक में बड़ा योगदान दिया।
1975 में, उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक डायरी (Electronic Diary) का आविष्कार किया, जिससे वह हैंडहेल्ड कंप्यूटिंग के अग्रदूत बन गए।
1978 में, उन्होंने 580 DSS स्विच विकसित किया, जिसने उन्हें दूरसंचार क्षेत्र में और भी प्रतिष्ठित बना दिया।
भारत में दूरसंचार क्रांति की शुरुआत
1981 में भारत यात्रा के दौरान, पित्रोदा को भारत की खराब दूरसंचार व्यवस्था का अहसास हुआ।
जब उन्होंने शिकागो में अपने परिवार से संपर्क करने की कोशिश की और काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने भारत की दूरसंचार प्रणाली में सुधार की आवश्यकता महसूस की।
1984 में, उन्होंने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत के लिए स्वदेशी दूरसंचार तकनीक विकसित करना था।
उनके नेतृत्व में, C-DOT ने ग्रामीण एक्सचेंज की शुरुआत की, जिससे भारत के दूर-दराज़ के इलाकों में भी संचार सुविधाएं पहुंच सकीं और देश में दूरसंचार क्रांति की नींव रखी गई।
जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर ट्रेंड
सैम पित्रोदा को भारत में दूरसंचार क्रांति के जनक के रूप में सराहा जाता है।
सरकार और नीतिगत पहल
भारत सरकार ने दूरसंचार के विकास में पित्रोदा के योगदान को मान्यता दी है।
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उन्होंने कई सरकारी योजनाओं में अहम भूमिका निभाई, विशेष रूप से राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (National Knowledge Commission) में, जिसने डिजिटल इंडिया की आधारशिला रखी।
भविष्य की संभावनाएँ
सैम पित्रोदा का योगदान भारत के तकनीकी और दूरसंचार क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले गया।
आज भारत 5G, डिजिटल भुगतान, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिसका श्रेय आंशिक रूप से पित्रोदा की दूरदर्शिता को जाता है।